Saturday 26 March 2016

छलावे की राजनीति से तौबा करना चाहता है उत्तर प्रदेश का नौजवान

उत्तर प्रदेश का नौजवान कशमकश में है। पिछले दो दशक से यहां का नौजवान छलावे की राजनीति का शिकार होता आ रहा है। कभी वह बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के छलावे में फंसा तो कभी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के झांसे में आकर अपने जीवन के कीमती समय को गवांया। बदले में कुछ भी हासिल नहीं हुआ, सिवाय बेबसी और बेकारी के। 2017 में एक बार फिर निर्णय लेने का समय आ गया है। नौजवानों पर एक बार फिर डोरे डालने शुरू हो गए हैं। कोई राजगार को प्रलोभन दे रहा है तो कोई बेरोजागरी भत्ते की बात कहकर फिर बहकाना चाहता है। वर्ष 2007 में मायवती के छलावे में आकर नौजवानों ने बसपा की सरकार बनाई तो मायावती ने इसे अपनी कूबत समझ ली और प्रदेश में जमकर लूट व भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा दिया। एनआरएचएम घोटाला, मनरेगा घोटाला जैसे कारनामे इसी सरकार के देन रहे। 2012 में नौजवान एक बार फिर मुलायम सिंह के बहकावे में आ बैठे और अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया तो फिर वही देखने को मिला। अखिलेश यादव खुद कठपुतली मुख्यमंत्री साबित हुए। वह अपने मंत्रियों को मनाने में ही पांच साल का समय गवां बैठे। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस भी चुपचाप बैठी रही और लोगों को लुटते देखती रही। अब तो सयम आ गया है जब उत्तर प्रदेश के नौजवान दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ईमानदार और स्वच्छ छवि  के उम्मीदवारों को चुनाव जिताना चाह रहे हैं, भले ही वह स्वतंत्र उम्मीदवार क्यों न हो। 

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