Tuesday 2 June 2015

दिल्ली सरकार और जासूसी सेल

दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद जिसकी उम्मीद थी, हो वही रहा है। बल्कि यूं कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उम्मीद से भी अधिक हो रहा है। ज्यादातर लोगों को उम्मीद थी कि अरविन्द केजरीवाल मुख्यमंत्री बनने के बाद काम कम करेंगे और सुर्खियों में रहने की कोशिश ज्यादा करेंगे क्योंकि यह उनके शगल में शामिल है। पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बाद भी आए दिन सुर्खियों में रहने के लिए तरह-तरह की नौटंकी करते रहते हैं। कभी बजट बनाने के लिए आम लोगों की राय लेने के नाम पर तो कभी खुले में कैबिनेट की बैठक करने के नाम पर आम जनमानस में भ्रम की बात छोड़ते रहते हैं। दिल्ली में ने बलात्कार की घटनाएं कम हो रही है, न बिजली पानी की समस्या दूर हो रही है और न ही करप्शन कम होने का नाम ले रहा है। दिल्ली सरकार के ऐंटी करप्शन ब्यूरो के लिए करोड़ों रुपये के उपकरण खरीदने का विवाद अभी थमा नहीं है कि सरकार ने एक और कदम आगे बढ़कर अपने सभी विभागों की ‘जासूसी’ कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए एक स्पेशल सेल बनाई जा रही है, जिसमें करीब 25 टीमें विभिन्न विभागों के कार्यकलापों की ‘निगरानी’ करेंगी। इसके लिए करीब 25 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार इस योजना के लिए गृह विभाग ने एक नोट तैयार कर लिया है, जिसे दिल्ली सरकार की आगामी कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा। विभाग ने जो नोट तैयार किया है उसमें दिल्ली सरकार के सभी विभागों के कार्यकलापों की जांच के लिए ‘निगरानी और मूल्यांकन सेल’ बनाने का निर्णय लिया है। ये सेल सभी विभागों के प्रॉजेक्ट, स्कीम, प्रोग्राम के अलावा उनके विभिन्न कार्यक्रमों की भी निगरानी करेगी। यह देखेगी कि इस मामले में कहां ढील बरती जा रही है और कहां सरकारी धनराशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस सेल के अंतर्गत करीब 180 लोगों की टीम बनाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें अलग-अलग 25 टीमें होंगी। हर टीम में सात अधिकारी होंगे, जिनमें से पांच को फील्ड स्टाफ के रूप में तैयार किया जाएगा। इस सेल में पांच डायरेक्टर होंगे और उसका मुखिया प्रॉजेक्ट डायरेक्टर होगा। इस सेल का बजट 20 करोड़ रुपये रखा गया है, जिसमें से उनकी स्टाफ की सैलरी पर करीब सात करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस बजट को बढ़ाया भी जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि वैसे तो विभिन्न सरकारी विभागों के कामकाज की समीक्षा के लिए पहले से ही विजिलेंस, प्लानिंग, फाइनैंस व आॅडिट विभाग मौजूद हैं। लेकिन सरकार चाहती है कि उसके विभागों पर गंभीरता से निगरानी रखी जा सके, ताकि जन हित से जुड़ी योजनाओं आदि को समय पर पूरा किया जा सके।

No comments:

Post a Comment