Wednesday 4 December 2013

भारत को तोड़ने की ख़ौफनाक साज़िश रच रही हैं दो खतरनाक खु़फिया एजेंसियां

यह भारत को तोड़ने की बेहद ख़ौफनाक साज़िश है| जिसे रच रही हैं विश्व की दो सबसे खतरनाक खु़फिया एजेंसियां| मक़सद है हिंदुस्तान में गृहयुद्ध का कोहराम मचाना| यहां की ज़म्हूरियत को नेस्तनाबूद करना| संस्कृति और परंपराओं को दूषित-संक्रमित करना, ताकि इस देश का वजूद ही खत्म हो जाए| इसके लिए निशाने पर हैं देश की अज़ीम ओ तरीम 35 हस्तियां| इन दोनों ख़ु़फिया एजेंसियों के एजेंट्‌स न्यायाधीशों, राजनीतिज्ञों, मंत्रियों, नौकरशाहों एवं शीर्ष पत्रकारों की दिन-रात निगरानी कर रहे हैं| यहां तक कि अपने बेहद निजी पलों में भी ये 35 हस्तियां मह़फूज नहीं हैं| जासूसी करने वाले एजेंट्‌स के नाम हैं-ई जासूस, जो बग़ैर दिखे और बिना किसी कैमरे या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के शयनकक्षों तक में घुसकर अपना जाल बिछा चुके हैं| देश की सभी अहम पार्टियों के शीर्ष नेताओं की हरकतें, उनकी बातचीत सहित कुछ भी, इन ई-जासूसों की नज़रों से छुपा नहीं है| सीआईए और मोसाद मिलकर भारत के खिला़फ इस षड्‌यंत्र को अंजाम दे रहे हैं| ज़रिया बना है इंटरनेट. फेसबुक, ऑरकुट, जीमेल, याहूमेल, टि्‌वटर सब पर पैनी नज़र है| अमेरिकी खु़फिया एजेंसी सीआईए ने 20 मिलियन डॉलर निवेश करके इन-क्यू-टेल नाम की एक कंपनी बनाई है| इन-क्यू-टेल ने अमेरिका की कई जानी मानी सॉफ्टवेयर कंपनियों को अपने साथ जोड़ा है| यह कंपनी इंटरनेट की म़ुकम्मल दुनिया पर गहरी और बारीक़ नज़र रख रही है| हज़ारों लोगों को इस काम के लिए नियुक्त किया गया है| सीआईए के 90 एजेंट इस पूरे अभियान को दिशा और गति दे रहे हैं| विश्व की 15 प्रमुख भाषाओं में काम किया जा रहा है| सीआईए ने इसके लिए भाषा विशेषज्ञों और सैन्य विशेषज्ञ इंजीनियरों की नियुक्ति की है| हिंदी, अंग्रेजी, अरबी, उर्दू, फारसी, चीनी, फ्रेंच, रूसी, जर्मनी, संस्कृत एवं जापानी आदि भाषाओं में इंटरनेट पर होने वाले सभी आदान-प्रदान का रिकॉर्ड सीधे सीआईए मुख्यालय में दर्ज़ हो रहा है|  भारत की गुप्तचर एजेंसियों को इस बात की पूरी खबर है कि सीआईए और मोसाद के ई-जासूस इंटरनेट के ज़रिए देश के पैंतीस खासम़खास लोगों के घरों में अपनी जगह बना चुके हैं| भारत या विश्व में कहीं भी ये पैंतीस लोग जैसे ही अपना ईमेल अकाउंट खोलते हैं, ई-जासूस सक्रिय हो जाते हैं| नेट के ज़रिए चैटिंग, ई-व्यापार, बातचीत, डाटा का आदान-प्रदान, फ्लिकर या यूट्युब का इस्तेमाल आदि सब कुछ सीआईए मुख्यालय और मोसाद मुख्यालय में सीधे रिकॉर्ड हो रहा है| बंद कमरों में की गई इनकी बातें, मुद्दों पर चर्चाएं और योजनाएं-सब. जिस सॉफ्टवेयर के ज़रिए ये सभी सूचनाएं इकट्ठा की जा रही हैं, वह यहां तक बताता है कि कौन सी सूचना नकारात्मक है और कौन सी सकारात्मक, कौन सी चर्चा हल्की है और कौन सी गंभीर| इन 35 लोगों के अलावा भारत के जिन अन्य लोगों का लेखा-जोखा रखा जा रहा है, उनकी बातचीत को भी यह सॉफ्टवेयर रिकॉर्ड कर रहा है और उनकी श्रेणी भी निर्धारित कर रहा है| सीआईए ने जिन खास लोगों को अपने निशाने पर ले रखा है, उनका वह शारीरिक नुक़सान नहीं करना चाहती, बल्कि उन शीर्ष लोगों के निजी क्षणों का ब्यौरा इकट्ठा कर उनका सामाजिक रूप से पतन करना चाहती है| भारत की खुफिया एजेंसी के एक बड़े अधिकारी बताते हैं कि सीआईए और मोसाद इन दोनों की यही कोशिश है कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों का इस तरह से चरित्र हनन किया जाए कि वे समाज में अपना मुंह दिखाने के क़ाबिल न रहें| जब चरित्र धूल-धूसरित होगा तो नेता टूटेगा| नेता पर दाग़ लगने से पार्टी बिखरेगी| और, ऐसी हालत में देश कमज़ोर होगा| आमजनों का नेताओं से भरोसा उठेगा, अराजकता फैलेगी| तब सीआईए और मोसाद जैसी विध्वंसकारी ताक़तों को मौक़ा मिलेगा भारत पर क़ाबिज़ होने का, देश को तहस-नहस करने का| दरअसल देखा जाए तो हो भी यही रहा है| अचानक ही अलगाववादी शक्तियों ने एक साथ अपना सिर उठा लिया है| यूं तो व़क्त-व़क्त पर अलग-अलग राज्यों की मांगें उठती रही हैं, पर ये इतनी तीव्रतर कभी नहीं थीं| तेलंगाना, बुदेलखंड, कामतापुर, पूर्वांचल, हरित प्रदेश एवं गोरखालैंड आदि राज्यों की मांगें इतनी ज़ोर पकड़ चुकी हैं कि, इनके लिए किए जा रहे आंदोलन हिंसक हो चुके हैं|  विघटनकारी तत्व देश की अखंडता पर हावी हो चुके हैं| इन विघटनकारी शक्तियों को बड़ी आर्थिक मदद विदेशों से मिलती है| ज़ाहिर है, ये वही विदेशी ताक़तें हैं जो भारत की अस्मिता को छिन्न-भिन्न करना चाहती हैं| आज़ादी के बाद देश के 14 राज्यों का 21 राज्यों में बंटना, फिर 25 राज्यों का बन जाना, उसके बाद 28 राज्यों का गठन और अब उनके भी टुकड़े करने की आवाज़ों का उठना| भाषाई, सामाजिक और आर्थिक स्तर के आधार पर हिंदुस्तान के टुकड़े-टुकड़े कर देना| अंगे्रजों ने हिंदुस्तान के इसी बिखराव का फायदा उठाकर इसे अपना ग़ुलाम बना लिया था| आज़ादी के बाद भारत एक हुआ| मज़बूत बना, विकास के नए आयाम ग़ढे गए, तरक्की के सोपानों पर च़ढता हुआ भारत विश्वशक्ति बनने की ओर अग्रसर हुआ| विश्वव्यापी आर्थिक मंदी भी भारतीय अर्थव्यवस्था की री़ढ नहीं तोड़ सकी| जबकि अमेरिका जैसे महाशक्तिशाली देश की भी चूलें हिल गईं| यक़ीनन ये हालात अमेरिका को गंवारा नहीं| वह भला कैसे चाहेगा कि भारत विश्वशक्ति बन उसका मुक़ाबला करे| लिहाज़ा एक बार फिर भारत को टुकड़ों में करने की साज़िश में सीआईए अपनी सहयोगी मोसाद के साथ लग चुकी है| सोशल नेटवर्किंग साइट इसमें बहुत बड़ी मददगार साबित हो रही है| साइबर क्राइम के मशहूर वकील पवन दुग्गल कहते हैं कि नेट के 70 प्रतिशत यूजर्स ग़ैर अमेरिकी हैं| ये अमेरिका से बाहर रहते हैं| 180 देशों में इनका जाल फैला हुआ है| 200 से ज़्यादा ग़ैर अमेरिकी भाषी ब्लॉगर टि्‌वटर समूह हैं| इनकी रीयल टाइम सूचना सीआईए के मिशन को बहुत ़फायदा पहुंचा रही है| कंप्यूटर्स नेटवर्किंग की सबसे बड़ी कंपनी सिस्को की वार्षिक सुरक्षा रिपोर्ट 2009 में यह भी खुलासा हुआ है कि स्पैम मेल ट्रैेफिक के मामले में भारत इस साल दुनिया का नंबर तीन देश बन गया है| इस साल भारत में स्पैम मेल के मामले में 130 प्रतिशत का इज़ा़फा हुआ है| भारत में फेसबुक यूजर्स की तादाद 35 करोड़ तक जा पहुंची है| सीआईए के लिए फेसबुक मुंहमांगी मुराद साबित हो रहा है| सीआईए जिस वायरस के ज़रिए अपने ई-जासूसों को बेहद तेज़ी से फैला रहा है, उसका नाम फेसबुक का उल्टा कर कूबफेस रखा गया है| हालांकि सीआईए ने 2008 में ही इस वायरस को इंटरनेट की दुनिया में छोड़ दिया था, लेकिन यह पूरी तरह से सक्रिय 2009 के आ़खिर तक हुआ| टि्‌वटर भी पूरी तरह इसकी चपेट में आ चुका है| शुरुआत में यह वायरस अमूमन यू ट्यूब लिंक पर क्लिक करने के लिए उकसाता था, लेकिन अब फेसबुक, टि्‌वटर और ऑरकुट आदि पर दोस्तों के फर्ज़ी नाम से सूचनाएं भेजकर प़ढने को उकसाता है| सीआईए का सबसे घातक वायरस ट्रॉजन है, जो 2009 का सबसे खतरनाक वायरस माना गया है| यह नाम, पासवर्ड, और बैकिंग डीटेल्स से भी आगे जाकर आपके दोस्तों के भी डिटेल्स चुरा लेता है| यह इतना खतरनाक वायरस है कि इसे कई एंटी वायरस प्रोग्राम भी नहीं पकड़ पाते हैं| 2009 में तकरीबन 62 लाख कंप्यूटर इस वायरस के शिकार हुए हैं| गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक़, भारत के 172 बेहद मशहूर लोगों की बैकिंग डीटेल्स और उनकी निजी बातें इस वायरस ने हैक कर ली हैं| इसमें कुछ ऐसे संवेदनशील मसले हैं कि जो आम हो जाएं तो देश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संकट खड़ा हो जाए| भारत में गृहयुद्ध के आसार पैदा करने के लिए सीआईए और मोसाद इन्हीं उपलब्ध सूचनाओं को अपना हथियार बना रही हैं| वे बस सही मौके की तलाश में हैं|

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