Monday 18 November 2013

छत्तीसगढ़ में ’कमल‘ को मुरझा पाना ‘पंजे’ के बस से बाहर
 



देश में धान का कटोरा नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ की जनता बुधवार को पांच साल के लिए अपना भाग्यविधाता चुनेगी। सभी प्रमुख राजनैतिक दल के नेताओं ने जनता को लुभाने के लिए अपनी-अपनी बात कह दी है। नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के साथ ही तीखे व्यंग बाण छोड़ने के साथ ही तंज भी कसे। पर जनता है कि कुछ बोलती ही नहीं। उसके मन में कौन बसा है, किसे अपना आशीर्वाद देने का मन बनाया है, यह सब पर्दे पर नहीं आ सका है। ऐसे में नेता पशोपेश में हैं। चुनाव की घोषणा हुई तो मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ की सत्तारूढ़ रमन सरकार पर हमले तेज कर दिया, कांग्रेस को लगा कि जनता रमन सिंह की सरकार के कामकाज से नाराज है, लिहाजा लोग कांग्रेस को हाथोंहाथ ले लेंगे, पर ऐसा नजर नहीं आया। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस खुद ही गुटबाजी का शिकार है। ऐसे में राहुल गांधी का भी कोई करिश्मा काम नहीं आया। रमन के पक्ष में निश्चित रूप से भाजपा के घोषित पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में पहुंचकर माहौल बनाया। वैसे रमन सिंह की सरकार का कामकाज भी ऐसा रहा कि जनता बहुतायत में उससे संतुष्ट नजर आ रही है। रमन सिंह की सरकार का एक कार्य जिसने सबसे अधिक गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रखा है, वह है रमन सरकार द्वारा जगह-जगह दाल-भात केन्द्र का खुलवाना। इन केन्द्रों पर गरीब और मजदूर वर्ग आसानी से इस मंहगाई के दौर में भी भरपेट भोजन कर ले रहा है। इसके साथ ही नक्सली घटनाओं को छोड़ दे तो अपराध की घटनाओं में काफ कमी आयी है। आम आदमी के अधिकार सुरक्षित हुए हैं। बेबाकी से आम आदमी अपनी बात अधिकारियों और नेताओं तक पहुंचा दे रहा है। यह सब रमन सरकार की लोकप्रियता का ही मापदंड है। अभी तक जो रूझान सामने देखने को मिल रहे हैं, उससे साफ नजर आने लगा है कि कमल को मुरझा पाना पंजे के बस की बात नहीं रह गयी है। हलांकि परिणाम किसके पक्ष में होगा यह स्पष्ट नहीं किया जा सकता पर अभी तक सबसे भारी रमन का ही पक्ष नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा जैसे कुछ अन्य दलों ने भी कुछ अन्य दलों ने भी उम्मीदवार उतारे हैं, पर उनका कोई निर्णायक बिन्दु समझ में नहीं आ रहा है।

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