Wednesday 30 October 2013

तीसरे मोर्चे की तैयारी ?

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संप्रग के घटक राकांपा सहित गैर भाजपा और गैर कांग्रेस 14 पार्टियां आज एक साझा मंच पर जुटीं. सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लडाई मुद्दा था लेकिन इस जमावडे को अगले लोकसभा चुनावों के लिए तीसरे मोर्चे के संभावित गठन के पहले कदम के रुप में देखा जा रहा है.
वाम दलों द्वारा प्रायोजित ‘‘सांप्रदायिकता के खिलाफ जन एकता का सम्मेलन’’ में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और अन्नाद्रमुक एवं बीजद के प्रतिनिधि शामिल हुए. चौदह दलों के इस सम्मेलन में शामिल नेता भले ही इंकार के अंदाज में कुछ कह रहे हों लेकिन ये स्पष्ट उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में यह भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ एक मंच बन सकता है.नरेन्द्र मोदी के मुददे पर भाजपा से 17 साल पुराने रिश्ते तोडने वाले नीतीश कुमार के सामने जब यह सवाल रखा गया तो उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘हमसे पूछा जा रहा है कि क्या कोई नया मोर्चा बन रहा है. आज की तारीख में ऐसा नहीं है. लेकिन हमें सांप्रदायिकता, आतंकवाद और फासीवाद के खिलाफ सोचना होगा और एकजुट होना होगा.’’

Tuesday 29 October 2013

हमें पीएम बनो दो झूठा ही सही


उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव अब प्रधानमंत्री बनने का सपना दिन में देखने लगे हैं। बार-बार वह सपने में यह बात जरूर बुदबुदाते होंगे कि एक बार कोई हमें पीएम बना दो झूठा ही सही। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह कहते हुए जरा सी भी शर्म महसूस नहीं होती कि नेताजी यानी मुलायम सिंह जी ने हमें पूर्ण बहुमत मिलने पर मुख्यमंत्री बनाया, अब हम सब को मिलकर नेताजी को प्रधानमंत्री बनाना है। आदरणीय मुख्यमंत्री जी आपको यह सोचना चाहिये कि नेताजी ने जब आपको 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले रथ पर सवार करके प्रदेश भर में टहलाया तो युवकों, नौजवानों, किसानों और बेरोजगारों ने आपकी आंखो में अपने भविष्य के सुनहले सपने देखे थे। युवओं ने सोचा था कि अखिलेश भैया मुख्यमंत्री बनेंगे तो प्रदेश से जातिवाद, अल्पसंख्यक-बहुसंख्यकवाद, क्षेत्रवाद पनपने के बजाय अमन-चैन का महौल बनेगा और सुन्दर भविष्य की नींव पडेगी, पर हुआ क्या आपकी सरकार आते ही गुंडे और मवालियों की पौ बारह हो गयी। डेढ साल की ही सरकार में 102 साम्प्रदायिक दंगे हो गये। दागी, भ्रष्ट और बेईमान अफसरों की चांदी हो गयी। झूठे वादों की झडी लगने लगी। भला अब आपके बहकावे में कौन आये और नेताजी को प्रधानमंत्री क्यों बनाये। 29 अक्टूबर 2013 को आजमगढ में आईटीआई के मैदान में देश बचाओ देश बनाओ रैली करके समाजवादी पार्टी ने अपने लक्ष्य-2014 अभियान की शुरूआत किया। यहां नेताजी ने अपने भाषण में यह नहीं बताया कि पिछले पखवारे में आजमगढ में जहरीली शराब पीने से 45 लोगों की मौत हो गयी, इसके लिए दोषी कौन है। सच अगर आप जानेंगे तो पैरों तले की जमीन खिसक जाएगी। सपा के सरकार में सत्ता के संरक्षण में माफियाओं द्वारा मिलावटी शराब खुले आम बेंची जा रही है। उसी का एक नमूना यह आजगमढ की घटना रही। नेताजी को अपने भाषण में इस बात का भी समावेश करना चाहिये था, कि पूर्वांचल में आखिर जापानी बुखार के कहर से मासूम बच्चों की मौत आखिर कब तक होती रहेगी। नेताजी को यह भी बताना चाहिये था कि प्रदेश के पश्चिमी जिलों में दंगों के मुख्य अभियुक्त सरकारी हेलीकाप्टर पर कैसे सवार होकर मुख्यमंत्री आवास पर दावत उडाते रहे। नेताजी को यह भी बताना चाहिये कि प्रदेश में बिजली की व्यापक कटौती कब तक होती रहेगी। कानून व्यवस्था कब तक सुधरेगी। जिस दिन आजमगढ में यह रैली थी, ठीक उसके एक दिन पहले बलरामपुर, कानपुर और बाराबंकी में सपा नेताओं ने उत्पात मचा रखा था। बलरामपुर में सपा विधायक आरिफ अनवर हाशमी के चार भाईयों ने सल्लाहनगर निवासी ज्ञानचंद सोनी को खुलेआम दोपहर दो बजे के करीब नगर कोतवाली के सामने सडक पर बेरहमी से पीटा। बचने के लिए ज्ञानचंद कोतवाली गया तो वहां भी पहुंचकर विधायक के भाईयों ने उसे मारापीटा। कानपुर में दर्जा प्राप्त मंत्री आत्मप्रकाश शुक्ल के बेटे ने पराग के महाप्रबंधक के साथ अभद्रता की। बारांबंकी में सपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन धीरेन्द्र वर्मा के भाई अरूणेन्द्र वर्मा ने ब्लाक कार्यालय में घुसकर सहायक लेखाकार रमाकंात पाण्डेय की पिटाई की। एक दिल पहले प्रतापगढ में पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह के भतीजे को गोली मारकर छह लाख रूपये की लूट की घटना घटी। जिस दिन नेताजी आजमगढ में भाषण दे रहे थे, उसी दिन गाजियाबाद में दिनदहाडे कर्मचारियों से 15 लाख रूपये की लूट हुई। पूरे प्रदेश में दहशत का माहौल है। न मंहगाई पर कोई नियंत्रण न अन्य कोई व्यवस्था सुचारू रूप से चल पा रही है तो आखिर वोट किस बात के लिए चाहिये। अखिलेश को इसका जवाब देना होगा।

Monday 28 October 2013

बेरोजगार नौजवानों की फौज

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से बेरोजगार नौजवानों की फौज में इजाफा हो रहा है, वह दुखद तो है ही साथ ही आने वाले समय के लिए चेतावनी भी है। बावजूद इसके भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। एक उदाहरण के माध्यम से मैं आपके दिल तक आज के मंजर को पहुंचाना चाहता हूं। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायत अधिकारी पद के लिए 2926 पदों की रिक्ति जारी की है और 19 अक्टूबर 2013 तक आवेदन पत्र मांगे थे। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि रिक्त 2926 पदों के सापेक्ष 50 लाख से अधिक आवेदन पत्र आये है। इनमें से कुछ जिलों की स्थिति भी आपके सामने साफ कर देना चाह रहा हूं। गोंडा में रिक्त 53 पद के सापेक्ष 75240, सुल्तानपुर में रिक्त 51 पद के सापेक्ष 100635, अमेठी में 45 पद के सापेक्ष 48651, रायबरेली में 50 पद के सापेक्ष 75000, बहराइच में 49 पद के सापेक्ष 52000, फैजाबाद में 54 पद के सापेक्ष 92000, बलरामपुर में 50 पद के सापेक्ष 32000, सीतापुर में 110 पद के सापेक्ष 304375, श्रावस्ती में 27 पद के सापेक्ष 19000 और आजमगढ में 115 के सापेक्ष 250000 आवेदन आये हैं। जाहिर है कि रिक्त 2926 पदों पर इतने ही बेरोजगार युवकों को रोजगार हासिल हो जाएगा, पर शेष बचे 49 लाख 98 हजार बेरोजगारों को रोजगार कब हासिल हो सकेगा। यह स्थिति कितनी भयावह और चिन्ताजनक है।
देश की युवा पीढी दिशाहीन है। शिक्षित और गैरशिक्षित नौजवान बेरोजगारी का दंश झेल रहे है। निराशा में नशे का शिकार हो रहे हैं। इससे न केवल देश की आर्थिक व्यवस्था बदस्तूर खराब हो रही है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक तानाबाना भी गडबडा रहा है। इस समस्या को लेकर मेरे मन में हमेशा से आवाज उठाने की प्रबल इच्छा रही है। इस ब्लाग के माध्यम से मैं अपनी बात आप के बीच पहुंचाकर इस अभियान में आपको सहभागी और सहयोगी बनाने का इच्छुक हूं। मेरा नाम रमेश पाण्डेय है। मैं मूलतः उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले के रानीगंज तहसील अन्तर्गत खाखापुर गांव का निवासी हूं। मेरे गांव के बगल कहला है। यह वही गांव है जहां अंग्रेजी दासता और ताल्लुकेदारों द्वारा वसूल की जा रही हरी बेगार के विरूद्ध आन्दोलन किसानों ने चलाया और 16 फरवरी 1931 को तीन किसान मथुरा प्रसाद यादव, कालिका प्रसाद विश्वकर्मा और रामदास कुर्मी शहीद हो गये थे।